पाबूजी राठौड़: राजस्थान भारतीय संस्कृति का गहना, विविधताओं, और परम्पराओं का खजाना है। राजस्थान के लोकदेवता और देवियों का महत्व अद्वितीय है। जिनमें एक नाम है, पाबूजी राठौड़।
राजस्थान के लोकदेवता माने जाने वाले पाबूजी राठौड़ को लोकप्रियता और महत्व का वास्तविक प्रतीक माना जाता है। इनका इतिहास और महत्व गहरी परम्पराओं से जुड़ा हुआ है। पाबूजी राठौड़ का जन्म जोधपुर जिले की फलोदी तहसील के कोलुमंद गांव में हुआ था।
राजस्थान की सांस्कृतिक एंव धार्मिक परम्परा में पाबूजी राठौड़ का महत्वपूर्ण स्थान है। इस आर्टिकल में आप पाबूजी राठौड़ के बारे में विस्तार से जान पायेंगे। पाबूजी मारवाड़ में शीर्षस्थ पंच पीर हैं।
पाबूजी राठौड़ का सामान्य परिचय
जन्म | गाँव कोलूमण्ड तहसील फलोदी जिला जोधपुर (1296 विक्रम सं.) |
जाति | राजपूत |
गोत्र | राठौड़ |
उपनाम | गोरक्षक लोकदेवता, प्लेग रक्षक लोकदेवता, ऊँटो के लोकदेवता, हाड़ फाड़ के देवता |
पिता | धांधल जी राठौड़ |
माता | कमला दे |
भाई | बूढ़ो जी राठौड़ |
भतीजा | रूपनाथ जी |
बहनोई | जायल नरेश “जिन्दराव” खिंची |
पत्नी | सुप्यार दे / फूलम दे ( अमरकोट के शासक सूरजमल की पुत्री) |
धर्मबहिन | देवल-चारणी (नागौर) |
घोड़ी | केशर कालमी |
सहयोगी | चाँदा, डेमा, हरमल, साँवत और सलजी |
पुस्तक | “आशियां मोड़जी (जोधपुर) ने पाबू प्रकाश’ पुस्तक में लोक देवता पाबूजी का जीवन लिखा तथा मेहा बीठू जी ने पाबूजी रा छन्द व लघराज जी ने पाबूजी रा दोहा लिखा। |
प्रतीक चिन्ह | भाला लिए अश्वरोही, बाँयी ओर झूकी पाग (पगड़ी)। |
मन्दिर | कोलूमण्ड गाँव, फलौदी (जोधपुर), प्रत्येक चेत्र अमावस्या को यहाँ मेला भरता है। |
वीरगति | देवल चारणी (नागौर) की गायों को जायल नरेश “जिंदराव खिंची (बहनोई) से बचाते हुए देचूं गाँव में पाबूजी वीरगति को प्राप्त हो गए। |
पाबूजी राठौड़ के बारे में प्रमुख बिंदु
- पाबूजी राइका जाति के अराध्य देवता हैं।
- पाबूजी को भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण का अवतार माना जाता है।
- ये थोरी एवं भील जाति में अति लोकप्रिय है तथा मेहर जाति के मुसलमान इन्हें पीर मानकर पूजा करते है।
- पाबूजी से संबंधित गाथा गीत ‘पाबूजी के पवाड़े माठ वाद्ययंत्र के साथ नायक एवं रेबारी जाति द्वारा गाए जाते है। रूपनाथ जी (भतीजा) ने अपने फूफा जिन्दराव खिंची को मारकर चाचा (पाबूजी) की हत्या का बदला लिया ।
पाबूजी के माता-पिता का नाम
पाबूजी के पिता का नाम – धांधल जी राठौड़
पाबूजी के माता का नाम – कमला दे
पाबूजी राठौड़ की फड़
राजस्थान में सबसे लोकप्रिय फड़ पाबूजी की है। इस फड़ का वाचन ऊँट के बीमार (ऊँटों में पाया जाने वाला रोग – सर्रा, प्लेग) होने पर नायक जाति के भोपे करते 18 है तथा वाचन करवाने वाली जाति राइका जाति होती है। पाबूजी की फड़ ‘नायक’ जाति के भोपे “रावण हत्था” वाद्य यंत्र के द्वारा बांचते है। पाबूजी की आराधना में थाली लोक नृत्य थाली लोकवाद्य यंत्र के साथ किया जाता है। पाबूजी राठौड़ के अनुयायी विवाह के दौरान साढ़े तीन फेरे लेते 18. है, क्योंकि पाबूजी राठौड़ ने विवाह के समय साढ़े तीन फेरे ही लिये थे।
पाबूजी राठौड़ और ऊँट
मारवाड़ में सर्वप्रथम ऊँट लाने का श्रेय पाबूजी को जाता है। पाबूजी सर्वप्रथम मारवाड़ में ऊँट अमरकोट (पाकिस्तान) से लाये थे। इस कारण ऊँट पालने वाली जाति ‘राइका जाति पाबूजी को अपना “आराध्य देवता मानती है।
हमें उम्मीद है कि हमारा आर्टिकल पढ़ने के बाद आपको पाबूजी राठौड़ के बारे में सभी प्रकार की जानकारी मिल गई होगी। आप हमारी वेबसाइट पर इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ सकते हैं और राजस्थान के अन्य लोक देवताओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।